Monday, August 17, 2009
ये सब पब्लिसिटी स्टंट है
15 अगस्त को जब देश आजादी की 63वीं सालगिरह मना रहा था तब अचानक शाहरुख पुराण ने एक साथ पूरे देश की जनता को झकझोर दिया मानो कोई सुनामी आया हो... सारे न्यूज चैनलों पर बड़े-बड़े अक्षरों में ब्रेकिंग न्यूज- शाहरुख के साथ बदसलूकी, किंग खान के साथ अमेरिका में दुर्व्यवहार और न जाने क्या क्या। और हो भी क्यूं न शाहरुख ठहरे देश के सुपर स्टार, नौजवानो के आदर्श। न्यूज चैनलों ने इस खबर को ऐसे परोसा कि जैसे अमेरिका ने अभी माफी नहीं मांगी तो भारत सीधे पेंटागन पर हमला कर देगा और मनमोहन सिंह व्हाइट हाउस को कब्जाने खुद कूच कर जाएंगे। मैं खुद खबरों से खेलने का गवाह हूं इसलिये अच्छी तरह जानता हूं कैसे न्यूज रुम में अफरा-तफरी मची होगी... कौन कैसे चिल्लाया होगा और देखते देखते मनमोहन सिंह के लाल किले के प्राचीर से दिए गए भाषण पर चर्चा करने की बजाए सब शाहरुखमय हो गये होंगे। मैं ब्रेक पर हूं लेकिन चूंकि इन्हीं न्यूज चैनलों का हिस्सा हूं इसलिये आपको बड़ी शिद्दत से बता सकता हूं कि ये खबर जैसे ही न्यूज रूम में टपकी होगी सबकी बांछे खिल गई होंगी क्योंकि उससे पहले सब इसी बात को तरस रहे होंगे कि आखिर आज पंद्रह अगस्त है आजादी की 63वीं सालगिरह.. आज दिखाएं क्या ... दिन भर चलाएँ क्या... प्राइम टाइम में परोसें क्या...आदि-आदि। शाहरुख ने खबरों के लिहाज से शिथिल 15 अगस्त को जान डाल दी। सब तरफ तेरा जलवा ....। शाहरुख के इस कदम को जरा गौर से देखिये .. वो जिस कार्यक्रम में भाग लेने अमेरिका गये थे वहां एक दिन पहले भी जा सकते थे या यूं कहें कि कुछ घंटे पहले भी जाते तो ये बात हिंदुस्तान में 14 की रात को ही हो जाती लेकिन शाहरुख तो शाहरुख ठहरे उन्हें अपने देश की जनता और मीडिया पर पूरा भरोसा है उन्होंने ऐसा दिन चुना जब सारा देश छुट्टियां मना रहा हो और न्यूज चैनलों पर आजादी के परवानों के किस्सों के अलावा परोसने को कुछ न हो। और ठीक ऐसा ही हुआ अचानक एक खबर फ्लैश हुई और देखते देखते ....। शाहरुख कमाल के मैनेजमेंट गुरु हैं... एक तो उन्होंने तारीख चुनी आजादी की सालगिरह जिस दिन देश के निठल्लों में देशभक्ति की भावना हिलोंरे मारने लगती है। और फिर जिस फ्लाइट से वो गये उसमें अपना सामान भी नहीं ले गये (जैसा कि अमेरिकी इमिग्रेशन अधिकारी का कहना है) उनका सामान दूसरी फ्लाइट से आ रहा था लिहाजा उनको जांच के लिये तो रुकना ही था। हकीकत में शाहरुख के साथ क्या हुआ या फिर शाहरुख ने अपने साथ क्या क्या होने दिया ये तो सिर्फ वही बता सकते हैं लेकिन उन्होंने जिस तरह अपनी नई आनेवाली फिल्म “माई नेम इज खान” को प्रमोट किया वो वाकई काबिलेतारीफ है। नेवार्क एयरपोर्ट से जब उन्होंने अपने घर, अपने सेक्रेटरी को फोन किया तो साथ ही अपने कांग्रेसी सांसद मित्र राजीव शुक्ला को फोन करना नहीं भूले, हालांकि राजीव शुक्ला ने उनकी मदद की, एंबेसी में बात की लेकिन अगर गौर से देखें तो शुकला जी को फोन करना भी एक स्ट्रेटजी के तहत था क्योंकि शाहरुख ये बखूबी जानते हैं कि उनपर जो आंच आई है उसे भारतीय न्यूज चैनल खूब भुनाएंगे तो क्यों न खबर ब्रेक करने का सेहरा उनके मित्र के चैनल को मिले जिसके बारे में कहा जाता है कि उसमें शाहरुख ने भी पैसे लगाए हैं। इतना ही नहीं जब ये खबर दावानल की तरह न्यूज चैनलों में फैली तो हर कोई शाहरुख से बात करने की जुगत में लग गया.... लगभग हर चैनल से शाहरुख ने फोन पर बातचीत की और बातचीत में बार बार बोला माइ नेम इज खान , शाहरुख चाहते तो माइ नेम इज शाहरुख खान भी बोल सकते थे। लेकिन उन्होंने यहां भी बड़ी बारीकी से अपने फिल्म को प्रमोट कर दिया। दरअसल ऐसे ही हैं शाहरुख, आज जिस नस्लवाद का सताया हुआ खुद को बताते हुए नहीं अघा रहे वही शाहरुख पिछले महीने मुंबई में इमरान हाशमी को एक सोसाइटी द्वारा घर न दिये जाने के मामले पर इमरान को नसीहत दे रहे थे। अंग्रेजी-हिंदी में खुद इतना फर्क करते हैं कि न कभी मंच पर हिंदी बोलते सुने जाते हैं और न ही जल्दी किसी हिंदी न्यूज चैनल पर इंटरव्यू देते हैं लेकिन ये हिंदी न्यूज चैनल वाले हैं कि शाहरुख को देखा नहीं कि लार टपकाते-दुम हिलाते नजर आते हैं। ये तो थी बात शाहरुख की अब जरा फिल्म इंडस्ट्री और मीडिया को गौर से देखिए। अभी कुछ दिनों पहले ही इससे भयानक हादसा पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम के साथ हुआ। खबर चलाई गई, ब्रेकिंग भी चली, संसद में हंगामा भी हुआ, मंत्री प्रफुल्ल पटेल ने एफआईआर दर्ज कराने की बात भी कही लेकिन हुआ क्या । न तो इस घटना के विरोध में बॉलीवुड से कोई मुखर आवाज सामने आई। रसोई से लेकर नासा तक हर मु्द्दे पर अपनी बेबाक राय रखने वाले महेश भट्ट ने भी चुप्पी साध ली। शाहरुख की खबर में लटके-झटके थे , शाहरुख की खबर के साथ दीपिका और प्रियंका चोपड़ा के फोनो चलाए जा सकते थे और ये सारे खेल कलाम की खबर के साथ नहीं हो सकता था लिहाजा वो खबर ठीक से खबर नहीं बन सकी। न्यूज चैनलों के लिए शायद कलाम उतने बड़े मुसलमान नहीं है जैसे शाहरुख हैं क्योंकि शाहरुख बार बार कहते हैं माई नेम इज खान। नेताओं के लिये कलाम के दिल में उतना दर्द नहीं है जितना शाहरुख के लिये है क्योंकि उनके बच्चे कलाम के नहीं शाहरुख ऑटोग्राफ चाहते हैं। कलाकारों की इज्जत होनी चाहिए लेकिन नई पीढ़ी के लिए आदर्श क्या हो इस पर हमें गंभीरता से सोचना होगा, और कलाम ने किस तरह अपनी प्रतिक्रिया दी थी इसका जिक्र इसलिये नहीं करुंगा क्योंकि वो फिर कलाम और शाहरुख की तुलना हो जाएगी और ये गुस्ताखी किसी हिंदुस्तानी को नहीं करनी चाहिए। बाकी ब्रेक के बाद ।
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गजब का विश्लेषण और सटीक आंकलन. शाहरुख का 'माई नेम इज खान' प्रमोट हो गया और दूसरी और चैनलों को मसला भी मिल गया. मजे कि बात ये है कि, ए पी जे अबुल कलाम की जांच को जो चैनल सही बता रहे थे. अमेरिकी जांच व्यवस्था का हिस्सा बता रहे थे और हमारी हस्तियों को सुधरने और इस व्यवस्था का सम्मान करने की नसीहत डे रहे थे, वहीं चैनल शाहरुख के मामले को ऐसे उछाल रहे थे मानो देश की अस्मिता पर भारी संकट आ गया हो. आप ने बढिया लिखा है. हार्दिक साधुवाद.
ReplyDeleteमाँ भारती आपकी लेखनी को और समृद्ध करे...इसी कामना के साथ..
bahut sahi nazaria hai aapka. eisa lagta hai ki news channel ko "deal" karne ka tarika ab sabne seekh liya hai
ReplyDeleteगजब का लिखा है आपने.....सबकुछ साफ़ साफ़ नजर आने लगा.
ReplyDeleteआप हिन्दी में लिखते हैं. अच्छा लगता है. मेरी शुभकामनाऐं आपके साथ हैं स्वागत है चिटठा जगत में.
ReplyDeleteबहुत सुंदर सारगर्भित लेख है
ReplyDeleteमैं आपसे सहमत हूँ
तेज धूप का सफ़र
शाहरुख खान एक्टर हैं,इमोशन को कैश कराना जानते हैं। रेड चिली प्रोडक्शन कंपनी के मालिक हैं सो मार्केटिंग करना भी जानते हैं। बस मौका मिला औऱ शाहरुख ने सबकुछ एक झटके में कैश करा लिया।
ReplyDeleteमीडिया और ग्लैमर के घालमेल की पोल खोलता एक बेहतर आर्टिकिल
Anuranjan jee bahut barhia...Isi Tarah likhte rahiye...
ReplyDeletehttp://hellomithilaa.blogspot.com
Mithilak Gap... Maithili Me
http://mastgaane.blogspot.com
Manpasand Gaane
http://muskuraahat.blogspot.com
Aapke Bheje Photo
आपने बिल्कुल सही कहा सर.ये कुछ नही सिर्फ अपनी फिल्म के प्रचार के अलावा...इस पूरे प्रकरण में जो असली ख़बर है उसे आपने ही पकड़ा है इसे कहते है अनुभव..जो बात किसी को न समझ आई उसको आपने पकड़ा..।
ReplyDeleteआपका लेख बहुत प्रभावी है...काफी कुछ बातें कहीं आपने
ReplyDeleteभाई अनुरंजन जी, आपका लेख पढ़ कर बहुत कुछ आपके विचार मुझे अपने जैसे ही लगे. आज़ादी के दिन से ही मैंने अपना ब्लॉग शुरू किया है- देशनामा. मैंने अपना पहला लेख भी - कलाम से सीखो शाहरुख़... पोस्ट किया है, उस पर आपका कमेन्ट ज़रूर चाहूँगा. वैसे अब ब्लॉग के ज़रिये आपसे मुलाकात का सिलसिला चलता रहेगा. मेरे ब्लॉग का लिंक है-http://www.deshnama.blogspot.com/
ReplyDeleteआपका ब्लॉग हमसफ़र
खुशदीप सहगल