Monday, August 3, 2009





जयंती की जय हो

हम जिस जयंती की जय-जयकार कर रहे हैं उसे आपलोग नहीं जानते होंगे। लेकिन हमें यकीन है कि जब आप जानेंगे तो आप भी हमारे सुर में सुर मिलाएंगे। उपर वाला भी क्या क्या रंग दिखाता है ? हमारी आपकी सबकी हकीकत जानने के लिये अलग अलग तरीके अपनाता है। चलिए आपको उलझाते नहीं हैं बता देते हैं ... जयंती महज 3 महीने की है और उसके दिल में छेद है....... उसके माता पिता इस हैसियत में नहीं है कि उसका इलाज करा सकें.... जयंती ऐसी कि आप देखें तो आपका दिल भर आए..... जी कलेजे से चिपकाने को हो, हर संभव प्रयास करने के बाद भी उनकी उम्मीद टूटती जा रही है लेकिन उपरवाला निर्दयी नहीं है..... भूले भटके जयंती के पिता की मुलाकात इंडिय़ा न्यूज चैनल के उर्जावान रिपार्टर विजयलक्ष्मी से हो जाती है और फिर धीरे-धीरे सबकुछ बदलने लगता है .. वो रिपोर्टर इस बच्ची की मदद हर कीमत पर करने की ठान लेती है.... एक रिपोर्ट फाइल करती है और चैनल कई घंटो तक इस बच्ची के माता पिता को स्टूडियो बिठाकर लोगों से इसकी मदद की गुहार लगाता है..... जयंती के माता -पिता की उम्मीदें जगती हैं.... रिपोर्टर देश के सबसे बड़े अस्पताल एम्स में अपने संबंधों से बातचीत करती है और वहां के डॉक्टर हर संभव मदद और रियायत की बात भी करते हैं लेकिन अब भी जयंती को सत्तर हजार रुपये की जरुरत है... न्यूज चैनल पर जिस दिन खबर दिखाई गई थी उस दिन कई लोगों ने मदद करने का आश्वासन दिया लेकिन अभी तक कोई सामने नहीं आया है .... जयंती के माता पिता की उम्मीदें फिर टूटने लगती है क्योंकि डॉक्टर जल्द से जल्द ऑपरेशन की बात कर रहे हैं......। इसी बीच एक 'भोर' नाम की एक संस्था जयंती को जीवनदान देने आती है । इस ट्रस्ट के लोगों ने भी चैनल पर खबर देखी है औऱ उसकी मदद करने की सोची है.... भोर ट्रस्ट के जरिए एम्स को पच्चीस - पच्चीस के दो चेक दिए जाते हैं यानी कुल पचास हजार और फिर जयंती को एम्स में भर्ती कर लिया जाता है ।

आज जयंती आइसीयू से बाहर आ गई है... उसका ऑपरेशन सफल रहा है ... डॉक्टर भी खुश हैं..... माता-पिता की कल्पना तो आप खुद कर सकते हैं... साथ ही भोर ट्रस्ट के कुछ अधिकारी फिर अस्पताल आए हैं उनके चेहरे पर भी संतोष है और सबसे ज्यादा खुश है वो रिपोर्टर जिसकी मेहनत से इस नन्हीं जान की जान बची है .... आज इस भागमभाग में भी कुछ लोगों को दूसरों की चिंता है ..... इन सबको साधुवाद ।

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