Friday, January 22, 2010
अपना मर्सिया पढ़ रहे टीवी चैनल
आर्यावर्त के पाठकों को नए साल की शुभकामनाएं। www.mediasarkar.com को लांच करने में व्यस्त था इसलिए काफी समय से कुछ लिख नहीं पाया. अब आप हमें यहां लगातार पाएंगे साथ ही www.mediasarkar.com पर भी आप हमसे रु-ब-रु हो सकते हैं।
टीआरपी की अंधी दौड़ में तो अब हद ही हो गई है पिछले दिनों यूटीवी के बिंदास चैनल पर एक अश्लील कार्यक्रम शुरु हुआ है इमोशनल अत्याचार। इस कार्यक्रम में बेवफाई का स्टिंग ऑपरेशन किया जाता है। लड़के-लड़कियां अपने साथी की लायलिटी टेस्ट करवाते हैं। चैनल खुफिया कैमरे के जरिए इन सारी घटनाओं को अंजाम देता है। पता नहीं आप महसूस कर पा रहे हैं कि नहीं लेकिन ये ट्रेंड बहुत ही खतरनाक है एक तो रिएलिटी शो के बहाने अब कैमरा हमारे घर में घुस गया है, पर्दे के इस पार आ गया है और वो सब हो रहा है जो एक सभ्य समाज को कतई शोभा नहीं देता। सच का सामना करने के ऐसे तरीके अपनाए जाते हैं कि सालों से बसा बसाया घर बिखर जाता है, पिछले जन्म का राज जानने के बहाने अंध-विश्वास को बढ़ावा दिया जा रहा है, देश भर से प्रतिभा ढूंढने के बहाने कम उम्र की लड़कियों को उनके माता पिता के सामने टू पीस बिकनी में नचवाया जाता है, कई कई ब्वाय फ्रैंड रखने वाली और लिव-इन रिलेशन में रह चुकी ऱाखी सावंत का स्वयंवर कराया जाता है और अब तलाकशुदा राहुल महाजन स्वयंवधु ढूंढने निकले हैं । जो कैमरा खबरों औऱ समस्याओँ को दिखाने तक सीमित था, समाज का चेहरा था हमें जानकारियां देने का काम करता था, हमें दुनिया की हकीकत से रु-ब-रु कराता था अब हमारे बेडरूम तक जा पहुंचा है। साफ है बंदर के हाथ में उस्तरा थमा दिया गया है नतीजा कैसा होगा बताने की जरुरत नहीं। अभी कुछ दिन पहले ही मतंग सिंह ने महिलाओँ के सशक्तिकरण के लिये खोले गए अपने चैनल पर रात बारह बजे से एक कार्यक्रम शुरु किया है – रात अभी बाकी है, बिल्कुल इंडिया टीवी पर दो-तीन साल पहले दिखाए जाने वाले कार्यक्रम इंडिया बोले की तरह। पहले ही एपिसोड में दर्शकों के ऐसे सवाल कि मेहमान औऱ महिला एँकर दोनों असहज नजर आए। इतना ही नहीं इसी ग्रुप का दूसरा चैनल जो पूर्वांचली समाज का होने का दावा करता है उस पर भी एक ऐसा ही कार्यक्रम स्थानीय़ भाषा में शुरु किया गया है और शुरु करने वालों को दलील कि यहां के लोगों को मुख्यधारा में जोड़ने की कोशिश की जा रही है आखिर ये टीवी चैनल वाले चाहते क्या हैं ? एक तो बेसिर-पैर के कार्यक्रम और उसपर तुर्रा ये कि दर्शक जो चाहता है वही हम दिखाते हैं। सवा सौ करोड़ की आबादी में दस हजार से भी कम दर्शक तय करते हैं कि पूरा देश क्या देखना चाहता है ? ये एक ऐसा ट्रेंड है जिसपर लगाम हमें जल्द ही लगानी होगी। कैसे हम दर्शकों का स्वस्थ मनोरंजन करें इस पर हम कभी विस्तार से चर्चा करेंगे फिलहाल हम बात करते हैं बिंदास के इमोशनल अत्याचार की। इस कार्यक्रम पर कुछ भी कहूं उससे पहले में ये बता देना चाहता हूं कि खुफिया कैमरे का इससे घटिया, वाहियात और फिजूल इस्तेमाल पहले कभी नहीं देखा... उमा खुराना कांड में भी नहीं ... शक्ति कपूर के मामले में भी नहीं। अभी तक स्टिंग ऑपरेशन के इतिहास में ये दो मामले मेरी नजर में काले धब्बे थे। एक में जहां एक औरत को गलत फंसाया गया औऱ उसकी अस्मिता तार- तार हुई और दूसरे में मेनका बन विश्वामित्र नहीं बल्कि एक आम इंसान की तपस्या भंग करने की कोशिश की गई। स्टिंग ऑपरेशन किसी खुलासे का जरिया हो सकता है यह एक्सपोजे का माध्यम है, इसे कभी भी किसी को फंसाने का जरिया नहीं बनना चाहिए। इतनी सी बात खुफिया कैमरे का इस्तेमाल करने वाले ज्यादातर लोग अभी तक ठीक से समझ नहीं पाये हैं। इन सबको कम से कम अनिरुद्ध बहल की एक क्लास लेनी चाहिए शायद दिमाग पर से थोड़ा पर्दा उठे लेकिन लगता है इन्हें तो इसकी जरुरत ही नहीं क्योंकि ये तो भंडाफोड़ करने नहीं बल्कि किसी को फंसाने, किसी की निजी जिंदगी में तांक-झांक करने आए हैं। इमोशनल अत्याचार में इस्तेमाल किए जा रहे तथाकथित खुफिया कैमरे पर ही हमारा पहला विरोध है और दूसरा जो इसका सबसे बुरा पहलू है जिसे जानकर आप ये सोचने को विवश हो जाएँगे कि आखिर किन पर भरोसा करें और किन पर नहीं। एक प्रेमिका एक प्रेमी का स्टिंग ऑपरेशन करवाती है, स्टिंग ऑपरेशन में उस लड़के की दूसरी प्रेमिका नजर आती है फिर दोनों लड़कियां मिलकर उस लड़के की जासूसी करवाते हैं और फिर दोनों साथ बैठकर उस लड़के को किसी तीसरी लड़की के साथ बैठकर फ्लर्ट करते देखते हैं वो तीसरी लड़की रिएलिटी शो की टीम का हिस्सा है। शो की लड़की जिस तरीके से उस लड़के को सरे-बाज़ार फ्लर्ट करती है और लड़के को फंसाने के वो हरसंभव प्रयास करती है जो सभ्य समाज में शोभा नहीं देता। इसे न्यूज चैनलों ने कई दिनों तक खूब भुनाया। इस प्रोग्राम को देखते ही कुछ शक होता है, रिएलिटी शोज पर पहले भी सवाल उठते रहे हैं कि ये मैनेज्ड होते हैं लेकिन इमोशनल अत्याचार को देखने के बाद आपको यकीन हो जाएगा कि इनकी क्या हकीकत है, और इसे सच साबित कर दिखाया न्यूज चैनल न्यूज 24 ने। इस चैनल ने स्टूडियो में बिठाकर दोनों लड़कियों से बात की। इस बातचीत के दौरान ये साफ हो गया कि ये सब मैनेज्ड था। लड़कियां जिस तरीके से आपस में बात कर रही थीं उससे ये लग रहा था जैसे दोनों की काफी पुरानी जान पहचान हो इतना ही नहीं जब उन दोनों को आपस में ये बोला कि जवाब संभलकर देना कि इन्हें शक न हो तो सब साफ हो गया। इन दोनों लड़कियों में से एक एमटीवी के कार्यक्रम स्पिल्टिसविला में भी प्रतियोगी रह चुकी थी। मतलब पैसे के लिए कुछ भी हो रहा है। लड़कियां किसी को भी अपना प्रेमी बना रही हैं... लड़के पैसे के लिए कैमरे के लिए सामने लड़कियों से मार खा रहे हैं, फ्लर्ट कर रहे हैं। चैनल अपने टीआरपी के लिए कुछ भी कर रहे हैं इसे देखकर तो यही लगता है कि अब वो दिन दूर नहीं जब टीवी चैनल्स अपनी टीआरपी के लिये किसी की जान भी ले लेंगे और वो भी रिएलिटी शो के बहाने। लेकिन ये टीवी चैनल वाले इस बात को नहीं समझ रहे हैं कि विश्वास खोकर वो अपना ही मर्सिया पढ़ रहे हैं।
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